उपयोगी है नीम का हर भाग


नीम का वृक्ष मानव के लिए एक प्राकृतिक वरदान है। किसी न किसी रूप में इसका सेवन मनुष्य करता रहा है। इसका स्वाद कड़वा होता है मगर उतना ही गुणकारी भी होता है। नीम के वृक्ष की छाल, सींकें और निम्बोलियां भिन्न-भिन्न रोगों में उपयोगी होती हैं।
नीम की पत्तियां:- नीम की पत्तियां बहुत उपयोगी हैं। इन्हें भिन्न-भिन्न तरीके से प्रयोग कर कई प्रकार के रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है-
कम से कम नौ नई और छोटी नीम की पत्तियों का सेवन दातुन करने के बाद नित्य करने से पेट सम्बन्धी कोई भी रोग नहीं होता।
 ऐसे व्यक्तियों के शरीर में एक प्रकार का विष बनता है, जो सर्प के विष की काट करता है। अस्तु इस नुस्खे के सेवन से मनुष्य को आत्मरक्षा हेतु अचूक अस्त्र मिल जाता है।
आंख दुखने, कीचड़ आने, पानी आने और फूलने पर रात भर बीस-बीस नीम की पत्तियां बांधकर सोने से आराम मिलता है। एक हफ्ते तक करने से आंख स्वस्थ हो जाती है।
नीम की पत्तियां उबालकर धोने से पके घाव, फोड़े आदि कीटाणुरहित हो ठीक हो जाते हैं।
चेचक, शीतला आदि रोगों में नीम की पत्तियां बिछाकर सोने से आराम मिलता है। 
 सूखी पत्तियां घर में रखने से दीमक आदि नहीं लगती।
नीम की हरी पत्तियों का अर्क आंखों में डालने से आंखों की सुरक्षा होती है। यह अर्क एक बार का बना दस दिन तक प्रयोग किया जाना चाहिए।
नीम की पत्तियों को पीसकर गोली बनाकर चार-चार घंटे के अंतराल पर सेवन करने से ज्वर विकार समाप्त होता है।
नीम की सींकें:- नीम की सींकें भी बहुत उपयोगी होती हैं-
 सींकें पीस गोली बनाकर चार -चार घंटे पर पानी के साथ लेने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता है।
सींकें कान में से गंद निकालने के काम आती हैं।
भोजनोपरांत दांतों में फंसे अन्न कण निकालने के लिए मनुष्य बहुधा नीम की सींकों का ही प्रयोग करता है।
नीम की छाल:- नीम की छाल का उपयोग भी किया जाता है-
 ज्वर प्रकोप में नीम की छाल का काढ़ा बड़ा लाभदायक होता है।
 फोड़े आदि पर ऊपरी छाल पीसकर पानी के साथ लेप करने से वे सूख कर ठीक हो जाते हैं।
नोट:- हफ्ते में एक दिन आलू प्याज के साथ-सात आठ नई पत्तियां मिलाकर सब्जी बनाकर सेवन करने से शरीर स्वस्थ और विकाररहित होता है। ऐसा प्रयोग अवश्य करके लाभ प्राप्त करना चाहिए। 
नीम की लकडिय़ां:- नीम की लकडिय़ां भी मानव जीवन के लिए कम उपयोगी नहीं हैं-
 नीम की लकडिय़ों से मेज, कुर्सी, दरवाजे और फर्नीचर आदि बनते हैं, मगर ये पानी और धूप से बचाये जाने चाहिए।
ईंधन के रूप में नीम की लकडिय़ां बहुतायत से प्रयोग की जाती हैं।
इस प्रकार हम देखते हैं कि मानव जीवन के लिए नीम के वृक्ष का बहुत उपयोगह है। ये वृक्ष कटाव को रोकते हैं। अन्य वृक्षों की तरह ये नीम के वृक्ष भी जल रहित क्षेत्र में वर्षा करके उसे एक उर्वर क्षेत्र बनाते हैं। नीम के वृक्षों की घटती संख्या एक चिन्ता का विषय है जो इसकी उपयोगिता और मानवजीवन जैसे एक दूसरे के पूरक विषयों पर भी निश्चित प्रश्न चिन्ह लगाती प्रतीत होती है। यदि हम अभी से इस जीवनदायी वृक्ष पर ध्यान नहीं देंगे तो वह दिन दूर नहीं, जब नीम के पेड़ का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।
विशेष:- नीम की टहनियों को काटकर छोटे-छोटे भागों में करके नित्य प्रति प्रात: दातुन के रूप में प्रयोग करते हैं। 
दातुन एक नित्य क्रि या है जिसका पुरातन आर्ष ग्रन्थों में भी उल्लेख है। नीम की टहनी की दातुन सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है। इसका उपयोग करने से दांत साफ और पुष्ट रहते हैं तथा मुख दुर्गन्ध रहित रहता है।
कुल मिलाकर नीम का पेड़ एक ऐसा पेड़ है जिसका कोई भी भाग बेकार नहीं जाता। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह मानव के लिए प्रकृति का एक   महान वरदान है। नीम का वृक्ष हम मानव जैसे सजीव की इतनी रक्षा करता है तो हमें भी इसकी रक्षा करनी चाहिए।
गिरीश चन्द्र ओझा