योग का महत्त्व हमारी धरा से धीरे-धीरे लुप्त होने लगा था। तभी सूर्य की किरणों के समान इस धरा पर स्वामी रामदेव प्रकट हुए और उन्होंने योग के महत्त्व को जन-जन तक शिविरों प्रवचनों के माध्यम से पहुंचाने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया। कुछ समय पूर्व एक शिविर के दौरान स्वामी रामदेव से योग के विषय पर कुछ महत्त्वपूर्ण बातें हुईं। प्रस्तुत हैं, उसी वार्ता के कुछ प्रमुख अंश:-
स्वामी जी! योगासन का उपयुक्त समय कौन-सा है?
योगासन प्रात: शौचादि से निवृत्त होकर स्नान करने से कम से कम आधा घण्टा पहले या स्नान के तुरन्त बाद भी किये जा सकते हैं। योगासन के लिए प्रात: काल का समय 5-6 बजे के बीच का ठीक तथा सुविधाजनक रहता है। वैसे योगासन सायंकाल भी किया जा सकता है। क्या योगासन के दौरान किसी से बात करना या अन्य मानसिक कार्य करना अनुचित होता है? जी हां, योगासन एकाग्रचित होकर तथा मौन धारण करके ही करना चाहिए। इस समय नाक से ही श्वसन क्रि या होनी चाहिए। योगासन के समय रेडियो-टीवी आदि भी सुनना-देखना नहीं चाहिए।
योगाभ्यास के लिए क्या किसी विशेष स्थान को चुनना चाहिए?
विशेष स्थान को चुनने की आवश्यकता नहीं है लेकिन ऐसा स्थान अवश्य हो जहां शुद्ध हवा का निर्बाध आवागमन हो। खुली जगह हो, बदबू आदि न हो तथा हवा के तेज झोकों से बचाव भी हो। जगह साफ-सुथरी तथा समतल हो, साथ ही वातावरण भी शान्त हो। अगर योगाभ्यास कमरे में ही करना हो तो कमरे के खिड़की दरवाजे सभी खोल देने चाहिए ताकि ताजी हवा आ सके।
आसन करते समय कपड़े कैसे पहनने चाहिए?
आसन करते समय शरीर पर कम से कम कपड़े होने चाहिए। वस्त्र तंग न हों तथा सूती हों। गर्मी में अण्डरवियर, लंगोट पहनकर भी आसन किये जा सकते हैं। सर्दी में ऊनी वस्त्र पहनकर भी आसन किये जा सकते हैं।
योगासन कितनी अवधि तक करना चाहिए?
योगासन गर्मी में कम तथा सर्दी में अधिक देर तक किया जाना चाहिए। शारीरिक क्षमता से अधिक, हांफ जाने पर, पसीने से लथपथ हो जाने पर, थकान महसूस होने पर योगासन रोक देना चाहिए। अधिक से अधिक आधा घण्टा ही योगासन करना अच्छा होता है।
योगासन किन-किन अवस्थाओं में नहीं करना चाहिए?
पेट में अल्सर या छाला होने की स्थिति में, आंत उतरने, क्षयरोग होने या अन्य गंभीर रोग होने की स्थिति में योगासन नहीं करना चाहिए। हृदय रोग तथा मधुमेह आदि की स्थिति में योग शिक्षक की सलाह से ही योगाभ्यास करना चाहिए। स्त्रियों को मासिक धर्म के दौरान तथा गर्भावस्था में चार माह तक योग नहीं करना चाहिए। चार माह के बाद भी योग शिक्षक की सलाह पर ही योगासन करना चाहिए।
क्या कुछ आसन विशेष रोगों की उपस्थिति में नुकसानदायक भी होते हैं?
जी हां, गैस की समस्या हो, पेट फूलता हो, या भारी रहता हो, त्वचा रोग हो या शरीर में गर्मी हो तो सिर के बल किये जाने वाले आसन नहीं करने चाहिए क्योंकि ऐसे में पेट में उपस्थित विषैले तत्व मस्तिष्क में पहुंच जाते हैं। गर्दन तथा कमर दर्द रहने पर आगे की ओर झुकने वाले व्यायाम न करें। लिवर बढ़ा हो, पेट में खिंचाव महसूस होता हो तो भुजंगासन, धनुरासन तथा शलभासन नहीं करना चाहिए। कान बहता हो, पेट रोग हो, दिल कमजोर हो, नेत्र रोग हो तो, सर्वांगासन तथा शीर्षासन नहीं करना चाहिए। किसी गंभीर बीमारी से उठने के बाद भी कठिन आसन नहीं करने चाहिएं।
क्या आसनों का कोई क्र म भी होता है?
पहले खड़े होकर करने वाले आसन करने चाहिएं, फिर बैठकर तथा बाद में सीधे लेटकर किये जाने वाले आसनों को करना चाहिए। सबसे अन्त में शीर्षासन करना चाहिए।
क्या विलोम आसनों को भी साथ में करना आवश्यक होता है?
जी हां, कुछ आसन होते हैं, जिन्हें करने के बाद विलोम (उल्टे) आसन भी करने चाहिएं, तभी लाभ होता है जैसे-शीर्षासन के बाद वृक्षासन, चक्र ासन के बाद धनुरासन, सर्वांगासन के बाद मत्स्यासन तथा पश्चिमोत्तानासन के बाद उष्ट्रासन अवश्य करना चाहिए।
आनंद कुमार अनंत
नियमानुसार आसन ही लाभदायक होते हैं: स्वामी रामदेव