जैसा खाए अन्न, वैसा होय मन। आहार और शरीर को लेकर यह बात ठीक है। आहार का हमारे स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। आपने देखा है कि सुबह उठकर चाय के एक कप के दर्शन करने वाले लोग, ग्रामीण लोगों जो सुबह उठकर चाय की जगह लस्सी का गिलास पीते हैं, की अपेक्षा अधिक व्याधिग्रस्त होते हैं।
आहार के कारण ही भाग-दौड़ की जिन्दगी व्यतीत करने वाला मनुष्य अनेक रोगों से घिरा है क्योंकि वह कभी होटल या ढाबों पर खाता है तो कभी सारा दिन किसी पेय के साथ डबलरोटी या बिस्कुट खाकर सारा दिन गुजार देता है।
प्रकृति की गोद में पनपने वाला मानव प्रकृति में उगाई गई खाद्य वस्तुओं के सेवन से अपने शरीर को हृष्ट-पुष्ट रख सकता है। लहसुन, प्याज, मूली आदि के जरिए कई भयंकर रोगों से बचा जा सकता है। खाने में यदि सूखे मेवों व गिरियों का उपयोग किया जाये तो वे स्वास्थ्य के लिए अति उत्तम होता है। इनके सेवन से मनुष्य दीर्घायु होता है।
गिरियों का उपयोग करते वक्त ध्यान रहे कि उनमें स्वाद के लिए नमक या किसी भी प्रकार की मिर्च न मिलाई जाये। गिरियों को तलकर खाना भी अधिक लाभकारी नहीं है। जो लोग अपने सुबह के नाश्ते में गिरियों का प्रयोग भी करते हैं उन्हें हृदय-वाहिकाओं सम्बन्धी रोग होने का खतरा उन लोगों से आधा होता है जिन्होंने पहले कभी गिरियों का सेवन न किया हो।
लहसुन का उपयोग करने से रक्त-संचालन न होने के कारण मांस-पेशियों का मृत होना जैसी संभावना काफी हद तक घट जाती है। चीन में किये गए सर्वेक्षण से पता चलता है कि अगर मनुष्य विभिन्न प्रकार के लहसुन और प्याज से बने आहार का सेवन करे तो उसके उदर-कैंसर होने की संभावनाएं कम होती हैं।
लहसुन जुकाम और फ्लू से बचाव करता है। इसमें विद्यमान तत्व रोग फैलाने वाले जीवाणुओं को समाप्त कर देते हैं। अत: आप जो कुछ भी बना रहे हैं उसमें एक दो कलियां लहसुन की अवश्य डालें। लहसुन के साथ अदरक और टमाटर को उबालकर सूप बनाया जाये तो यह उदर के लिए लाभकारी होता है। इससे बंद नाक का जमाव कम होता है।
लहसुन और प्याज की तरह गोभी खाने का हमारे स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। पत्तागोभी में 'सल्फोरैफीनÓ रसायन पाया जाता है जो कैंसर प्रतिरोधक होता है अत: पत्ता गोभी का नित्य सेवन करके हर प्राणी इस भयानक बीमारी के सुरक्षात्मक उपाय कर सकता है।
फलों में संतरे का सेवन शरीर में कैल्शियम, सल्फर, क्लोरीन, सोडियम, पोटाशियम और कापर तत्वों को प्रदान करता है। इसमें विटामिन सी की मात्र अधिक होने के कारण यह स्कर्वी रोग में अत्यन्त लाभदायक होता है। इसके सेवन से शरीर की आंतों में उपयोगी बैक्टीरिया का निर्माण होता है। संतरे के संबंध में शिकागो के प्रसिद्ध फिजीशियन डा. हार्क के अनुसार यदि संतरे का रस अधिक मात्र में पिया जाये तो दांतों की अनेकों बीमारियां दूर होती हैं।
सोयाबीन कैंसर प्रतिरोधक है। इसमें प्राकृतिक रूप में पाये जाने वाले वाले यौगिक जेनिस्टीन कैंसर उत्पन्न करने वाले जीनों को अवरूद्ध कर देते हैं। जापान के राष्ट्रीय कैंसर केन्द्र अनुसंधान संस्था के शोधकर्ता ताकेशी हिरायामा के 1982 में 2,5०,००० जापानियों पर किये गये अध्ययन से पता चला है कि जो लोग सोयाबीन का सूप पीते हैं उन्हें जठर कैंसर की बीमारी उन लोगों की अपेक्षा कम होती है जो सोयाबीन का सूप कभी नहीं पीते।
अब सवाल है क्या आप इन सर्वेक्षण आंकड़ों पर विश्वास करते हैं या नहीं परन्तु इस तथ्य को कदापि झुठलाया नहीं जा सकता कि आप जैसा सोचेंगे वैसा ही खायेंगे। जीवन अनमोल है इसे जीने के तरीकों से जियें। अपनी जिन्दगी को एक बोझ समझकर न जियें।
यह तभी सम्भव होगा जब आप हर प्रकार से अपने आहार का ध्यान रखेंगे। लिहाजा आप अपने खाने में ऐसी खाद्य वस्तुओं का सेवन करें जिनसे न केवल आपको शारीरिक, मानसिक शक्ति मिले तथापि धार्मिक दृष्टि से भी आपके अनुकूल हो। आप बीमारियों के जाल से निश्चय ही बचे रहेंगे।
राजेन्द्र मिश्र राज
सूखे मेवे व सब्जियां क्या देती हैं आपको