शहरी एवं अद्र्धशहरी इलाकों में रहने वाली आबादी की दैनिक खानपान की आदतें और आरामदेह जीवन शैली अब सिर्फ वयस्कों के लिए मधुमेह तथा हृदयरोग का कारण नहीं रह गया है बल्कि अब यह युवाओं और बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार आज के भोजन में फाइबर की मात्रा तो घटी है, पर कैलोरी व वसा की मात्रा बढ़ गयी है। शहरी जीवन शैली में जहां स्वादिष्ट लजीज खाने के साथ-साथ अत्यधिक मात्रा में कैलोरी भी परोसी जाने लगी है वहीं इस कैलोरी को जलाने के लिए जरूरी शारीरिक श्रम की मात्रा घट गयी है। मशीनीकरण बढऩे के कारण लोगों में अब शारीरिक आरामतलबी बढ़ गयी है और यह पूरी स्थिति अंतत: बेहद अस्वास्थ्यकर साबित हो रही है।
आनंद कुमार अनंत
आरामतलबी से बढ़ती है डायबिटिज