घर को रखें प्रदूषणमुक्त

आज हमारे घरों का वातावरण इतना प्रदूषित हो गया है कि व्यक्ति के लिए सांस लेना दूभर हो गया है। आज हालत यह है कि हम जहरीले वातावरण में जीने के लिए मजबूर हैं। हमारे दैनिक जीवन में प्रयोग की जाने वाली वस्तुएं अशुद्ध हैं। वायु, जल व भोजन सभी प्रदूषणयुक्त हैं। कुछ बातों पर गौर करके हम अपने घर को कुछ हद तक प्रदूषणमुक्त रख सकते हैं।
ह्म् सफाई करने के लिए सिरका एवं गरम पानी का प्रयोग अन्य उत्पादों की अपेक्षा बेहतर है। यह माना जाता है कि यह प्राचीन तरीका है, इसलिए लोग इसे इस्तेमाल करना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं मगर यह तरीका काफी असरदायक है।
ह्म् कमरे के वातावरण को ताजा रखने के लिए एयर फ्रेशनर्स के स्थान पर जरूरत के हिसाब से बेलों का इस्तेमाल करना चाहिए।
ह्म् आजकल नल का पानी भी प्रदूषणमुक्त नहीं होता। इसे भरते समय आवश्यक सावधानियां रखने से इसे प्रदूषणमुक्त रखा जा सकता है। खाना बनाने का पानी भरने से कुछ मिनट पूर्व नल से पानी बह जाने दें। जल पर फिल्टर लगाएं तो बेहतर है।
ह्म् एन्टी डैन्ड्रफ शैम्पू में काफी मात्र में कैमिकल्स होते हैं, इसलिए इन्हें बहुत कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए।
ह्म् बाजार में मिलने वाली काली, भूरी या लाल रंग की हेयर डाई का प्रयोग कदापि न करें। ये सिर की चमड़ी को पार करके मुख्य रक्त में प्रवेश करके हानि पहुंचाती हैं। इनकी बजाय सब्जियों से निर्मित कुदरती हेयर डाइस को प्रयोग में लाएं।
ह्म् पसीने की गंध को दूर करने या फिर अत्यधिक पसीने को रोकने हेतु प्रभावित अंगों पर सोडा बाइकार्ब रगडऩा बेहतर है क्योंकि कई बार हम नई कम्पनियों के पसीनारोधी पदार्थों का प्रयोग करते हैं जिनमें एक जहरीली धातु  एल्युमीनियम सम्मिलित होती है जिससे पसीना बहना रूक जाता है। चूंकि पसीना बहना एक आवश्यक शारीरिक क्रि या है अत: इसे ध्यान में रखते हुए इनका प्रयोग कदापि न करें।
ह्म् आमतौर पर हेयर सैलून में विषाक्त वायु विद्यमान होती है अत: हेयर डे्रसिंग करवाने के बाद इस वायु से छुटकारा पाने हेतु दस पंद्रह मिनट तक बाहर टहलने अवश्य जाएं। इस विषाक्त वायु का जहरीलापन शरीर को काफी नुकसान पहुंचाता है। इससे बचने के विटामिन सी से युक्त पदार्थों का सेवन अधिक से अधिक करें।
ह्म् समय समय पर चादरों व तकिये के कवरों को बदलना अति आवश्यक है क्योंकि इन पर गंदगी व पसीने के कारण ऐसे कीटाणु पनप जाते हैं जिनसे सांस व आंखों की बीमारी फैलने का भय बना रहता है।
ह्म् बिस्तर के पास विद्युत घड़ी की अपेक्षा बैटरी चलित घड़ी को रखना बेहतर है।
ह्म् टी. वी के पिछले हिस्से को सदैव दीवार की तरफ ही रखें। टी.वी. देखते समय टीवी स्क्र ीन से लगभग 15० सेंमी. की दूरी पर बैठें।
ह्म् मोबाइल फोन पर एक ही समय में ज्यादा देर बातें करना शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। 
भाषणा बांसल