किस्मत को गढऩा बेहद मुश्किल है। जिंदगी में कभी-कभी आपकी लाख कोशिश मुकाम नहीं दिला पाती लेकिन कभी मंजिल आराम से मिल जाती है। उसके लिए कोई अतिरिक्त प्रयास भी नहीं करने पड़ते। ऐसा भी होता है जब किस्मत को गढऩे और तराशने में काफी कुछ लुट जाता है और सबकुछ पीछे छूट जाता है। यह भी सच है कि जब भगवान देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है। हर इंसान की कामयाबी के पीछे एक भगवान छुपा होता है वह चाहे इंसान के रुप में ही क्यों न हो। इसलिए जिंदगी में रियाज और प्रयास को कभी अलविदा मत कहिए।
पश्चिम बंगाल के रानाघाट की रानू मंडल आज गूगल और इंटरनेट दुनिया की स्टार बन गई हैं। रानाघाट रेलवे स्टेशन पर कुछ दिन पूर्व गुमनाम जिंदगी जीने वाली रानू विकिपीडिया में गायक दर्ज हो गई हैं। दुनिया भर में करोड़ों लोग इंटरनेट पर उसे सर्च कर रहे है। एक बेहद गरीब परिवार की महिला ने अपनी आवाज की बुलंदियों की बदौलत सिनेमाई दुनिया में तहलका मचा दिया है। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि वालीवुड का हर नामचीन संगीतकार उसके साथ अपनी आवाज देना चाहता है। स्वर कोकिला लता मंगेशकर के गाए गीत 'एक प्यार का नगमा हैÓ ने रानू को बुलंदियों पर पहुंचा दिया। कभी वह यही गीत गाकर रानाघाट रेलवे स्टेशन पर दो वक्त की रोटी तलाशती थीं। कहते हैं वक्त बदलते देर नहीं लगती। रानू की जिंदगी बदलने में सबसे बड़ा हाथ तो ईश्वर का है लेकिन असली भाग्य विधाता तो धरती का भगवान साफ्टवेयर इंजीनियर यतींद्र चक्रवर्ती है जिसने उसका वीडियो वायरल कर हिमेश रेशमिया तक पहुंचाया।
रानू मंडल की आवाज में गजब की कशिश है। जिस आवाज को अब तक कोई नहीं पढ़ पाया था, उसे यतींद्र चक्र वर्ती ने पढ़ा और वीडियो शूट कर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। जिस पर हिमेश रेशमिया के साथ कई नामचीन हस्तियों की निगाह पड़ी लेकिन कहते हैं हीरे की पहचान जौहरी ही करता है। आखिर हिमेश सबसे पहले बाजी मार ले गए। हिमेश के साथ गाए रानू के वीडियो इतने वायरल हुए कि वह वालीवुड की स्टार संगीतकार बन गई जबकि उसका भाग्य विधाता यतींद्र चक्र वर्ती रानू का मैनेजर बन कर उसका कामधाम संभालने लगा है। रानू के पास एक बेटी भी है लेकिन मां के दिन जब गर्दिश में थे तो उसने भी किनारा कर लिया था। अब तो उसकी जिंदगी और तकदीर की तस्वीर बदल गई है। अब रानू के लाखों चाहने वाले हो गए हैं जबकि महीना भर पूर्व उसे कोई पहचानता तक नहीं था। पूरा वालीवुड उसे हाथों पर लिए फिर रहा है क्योंकि रानू की आवाज अभी सस्ते में विकेगी और फिल्मी दुनिया के लोग चाहेंगे कि जितना अधिक से अधिक हो, उसके आवाज की जादू का इस्तेमाल किया जाए। हालांकि रानू की उम्र और पढ़ाई-लिखाई भी कामकाज में बांधा बन सकती है लेकिन यतींद्र सबकुछ संभाल लेगा क्योंकि रानू के साथ अब उसका भी भविष्य जुड़ गया है।
इंडियन आइडयल सीजन-1० के विजेता सलमान अली ने भी उसके साथ एक गीत गाया है। वह भी सोशलमीडिया में खूब धमाल मचा रहा है। अब तक उसे करोड़ों लोग देख चुके हैं। टीवी शो सुपर स्टार सिंगर के जजों से मिलने के बाद उसका गया गीत भी तेजी से वायरल हो रहा है। उसकी आवाज में गजब की खनक और कशिश है। यूट्यूब पर जो भी व्यक्ति उसकी आवाज एक बार सुन रहा है वह रानू का मुरीद हो जा रहा है जिसकी वजह से दुनिया भर में इंटरनेट पर उसके फालोवर बढ़ते जा रहे हैं। वह मुंबई में अपना एक घर चाहती है लेकिन उसकी इस सफलता को देखते हुए पश्चिम बंगाल प्रशासन ने रानाघाट में एक घर उपलब्ध कराया है। उसकी कामयाबी का राज इसी से पता चल सकता है कि वालीबुड के साथ दक्षिण भारतीय और बंग्ला फिल्म उद्योग में उसकी मंाग बढऩे लगी है। रानू मंडल की इस सफलता में भारतीय रेल का भी बड़ा हाथ हैं। अगर उसे रेल की शरण न मिली होती तो शायद यह कामयाबी नहीं मिल पाती। उसकी सफलता की दूसरी सबसे बड़ी वजह सोशल मीडिया है। सोशलमीडिया आज स्थिति में है कि वह चाहे जिसे आम से खास बना दे। आज की युवापीढ़ी इसकी तागत को पहचानती है। सोशलमीडिया न होता तो शायद रानू रानाघाट स्टेशन पर ही दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करती दिखती। उसकी प्रतिभा को लोग कैसे जानते। अगर आपके पास टेलेंट है तो आप भी सोशलमीडिया का इस्तेमाल कर अपनी प्रतिभा को पूरी दुनिया में नई पहचान दिला सकते हैं। ऐसे लाखों लोग हैं जिन्होंने सोशलमीडिया का इस्तेमाल कर अपनी जिंदगी को बदल दिया है।
यतींद्र चक्र वर्ती जैसे लोगों की कमी भी नहीं है जो रानू मंडल को रातों-रात स्टार बना देते हैं। बस हमें वक्त के साथ अपने नजरिए को बदलना होगा। दुनिया आपके साथ खड़ी है, बस एक कदम आगे बढ़ाने की जरुरत है। हालांकि रानू मंडल के सामने अभी बड़ी चुनौतियां हैं जिससे निपटना आसान नहीं होगा लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि उसने जिंदगी को नये सिरे से परिभाषित किया है। रानू अपनी प्रतिभा और मेहनत के बल कर जल्द ही भारतीय फिल्म उद्योग में नया मुकाम हासिल करेगी। समाज में उस जैसे लाखों लोग हैं लेकिन हम अपनी जिंदगी की जद्दोजहद से निकल दूसरों के लिए सोचते हीं नहीं। ऐसी प्रतिभाओं को खोजकर सरकार और समाज के सामने लाना चाहिए।
प्रभुनाथ शुक्लंग
शाबाश रानू! बंगभूमि के जादू की कशिश में डूबी दुनिया